भीमा कोरेगांव मामला : वरवरा राव को ढाई साल बाद मिली राहत, मेडिकल आधार पर मिली जमानत
नई दिल्ली: बॉम्बे हाई कोर्ट ने एल्गार-परिषद मामले में गिरफ्तार वरवरा राव को बेल दे दी। राव को अगले 6 महीने तक मुंबई NIA के अधिकार क्षेत्र में ही रहना होगा और जांच के लिए बुलाने पर उपलब्ध होना होगा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेडिकल आधार पर वरवरा राव को जमानत दी है।
साथ ही उन्हें अपने रहने वाले स्थान की जानकारी मुहैया करानी होगी। ट्रायल के दौरान जब भी बुलाया जाएगा, उन्हें उपस्थित रहना होगा। वह व्यक्तिगत राहत के लिए आवेदन कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि वह निकटतम पुलिस स्टेशन में व्हाट्सएप वीडियो कॉल कर सकते हैं और अपनी उपस्थिति के बारे में बता सकते हैं। एल्गार परिषद मामले में यह पहली जमानत है।
असल में, भीमा कोरेगांव केस में जेल में बंद वरवर राव पिछले साल जुलाई में कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। न्यायिक हिरासत में नवी मुंबई के तालोजा जेल में बंद वरवर राव को उसके बाद सरकारी जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब वरवर राव के परिवार ने उनकी बिगड़ती हालत को लेकर चिंता जाहिर की थी। इसके बाद हाई कोर्ट ने उन्हें नानावती अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश दिया था।
बता दें कि यह मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित हुए एल्गार परिषद के सम्मेलन में कथित भड़काऊ भाषणों से जुड़ा है। पुलिस का दावा है कि अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी। पुलिस का दावा है कि यह सम्मेलन उन लोगों द्वारा आयोजित किया गया था जिनके माओवादियों से कथित तौर पर संबंध हैं।
मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में हुए एल्गार परिषद के सम्मेलन में कथित भड़काऊ भाषणों से जुड़ा है। पुलिस का दावा है कि अगले दिन भीमा कोरेगांव युद्ध स्मारक के निकट हिंसा भड़क गई थी। पुलिस का दावा है कि यह सम्मेलन उन लोगों द्वारा आयोजित किया गया था, जिनके कथित तौर पर नक्सलियों से संबंध हैं।
कौन हैं वरवर राव?
वरवर राव कवि और लेखक हैं। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में अगस्त 2018 में पहली बार उन्हें गिरफ्तार किया गया था। राव 1957 से कविताएं लिख रहे हैं। उन्हें इमरजेंसी के दौरान अक्टूबर 1973 में आंतरिक सुरक्षा रखरखाव कानून (मीसा) के तहत गिरफ्तार किया गया था।
1986 के रामनगर साजिश कांड समेत कई अलग-अलग मामलों में उन्हें एक से ज्यादा बार गिरफ्तार और फिर रिहा किया गया। 2003 में उन्हें साजिश कांड में बरी किया गया और 2005 में फिर जेल भेज दिया गया था। उन्हें नक्सलियों का समर्थक माना जाता है। राव पर नक्सलवाद को बढ़ावा देने का आरोप कई बार लग चुके हैं।