जवाब तो देना होगा : अनूपपुर जिला अस्पताल की लापरवाही से मौत से लड़ रहा मासूम, 5 घंटे तक नहीं मिला एंबुलेंस
शहडोल, राजेन्द्र शर्मा : जिला चिकित्सालय शहडोल में विगत माह पूर्व दर्जनों नवजात शिशु के मृत्यु के मामले ने मध्य प्रदेश ही नहीं पूरे देश के शासन-प्रसाशन व सिस्टम को हिला कर रख दिया है. शासन प्रशासन एवं चिकित्सा विभाग के लोग तरह तरह के बयान देकर भले ही अपना पल्ला झाड़ लिए हों, लेकिन उन मां बाप के बहते आंसुओं से शासन प्रशासन एवं डॉक्टर व अन्य जिम्मेदार लोगों के आत्मा को शांति नहीं देगी.
कारण की कहीं ना कहीं जिला चिकित्सालय और डाक्टरों का अमला अपने दायित्वों का निर्वहन समय रहते सही तरीके से नहीं किया, जिसके चलते दर्जनों नवजात शिशु काल के गाल में समा गए और पीड़ित माँ-बाप आज भी तड़प रहे हैं।
आप माने तो शहडोल का मामला अभी ठंडा नहीं हुआ है. अब शहडोल जिला चिकित्सालय की कार्यशैली को देखते हुए अनूपपुर जिला चिकित्सालय भी करने लगा हैं. कभी-कभी जिला चिकित्सालय के बोर्ड को देखकर लगता है कि चिकित्सालय हटाकर मृत्यु आलय लिख देना आम जनता के साथ धोखा नहीं होगा, बल्कि वास्तविकता सामने आ जाएगी.
जानकारी मिली है कि नगर पालिका परिषद कोतमा क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 6 ऊपर टोला की निवासी पूजा कोल कल 10 जनवरी को अपने ढाई वर्ष के बच्चे का उपचार कराने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोतमा सुबह लगभग 10:00 बजे ले गई थी. बच्चे के बिगड़ते हालात को देखकर वहां के डाक्टरों दवारा 11:00 बजे उसे जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया. बच्चे की हालत बिगड़ते जा रही थी. वहां पदस्थ कर्मचारी मरीज के अभिभावकों से गुस्से में बात कर तरह-तरह का दुर्व्यवहार कर रहे थे. यह सिलसिला दोपहर से लेकर शाम 7:00 बजे तक चलता रहा.
READ MORE : IND vs AUS : टीम इंडिया की लिए बहुत बुरी खबर, एक और स्टार गेंदबाज ब्रिसबेन टेस्ट से आउट
इस मामले की जानकारी जब मीडिया को मिली तो जिला चिकित्सालय में पदस्थ जिम्मेदारों से उक्त मामले की चर्चा की गई. जिसमें डॉक्टर ने जवाब दिया कि बच्चे का बेहतर उपचार होगा. आप चिंता ना करें. कुछ देर बाद डॉक्टरों का अमला पूजा कोल एवं पीड़ित बच्चे के पास पहुंचा. डॉक्टरों के दल ने तड़पते बच्चे को देखकर रेफर केस बिलासपुर के लिए बना दिया, लेकिन दुख की बात है कि 7 बजे से 12:00 बजे रात तक जिला चिकित्सालय उस बच्चे को बिलासपुर भेजने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं कर सका.
जब बच्चे की हालात नाजुक हो गई तो वहां के डॉक्टरों ने पूजा कोल के ढाई वर्षीय बच्चे को वेंटिलेटर में रख दिया है. अभी भी ढाई वर्ष के बच्चे की हालत नाजुक बनी हुई है. ईश्वर ना करें कोई ऐसी विडम्बना हो नहीं तो शासन प्रशासन में बैठे लोग एवं जिले के जिम्मेदार डॉक्टरों व अन्य स्टाफ के लोगों को जवाब तो देना होगा कि कोतमा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से रिफर के बाद 9 घंटे तक सही बच्चे का सही उपचार क्यों नहीं हुआ?
बच्चे को बिलासपुर के लिए रिफर किया गया फिर उस गरीब महिला को एंबुलेंस की व्यवस्था क्यों नहीं की गई अंततः आधी रात 1:00 बजे के बाद तड़पते बच्चे को अनूपपुर के डाक्टरों द्वारा वेंटिलेटर में रख दिया गया है. अभी भी बच्चे की हालत ठीक नहीं होने की जानकारी मिली है.