चापड़ा चटनी खाने की वजह से बस्तरवासी रहे हैं कोरोना से मुक्त : कवासी लखमा
बिप्लब कुण्डू/पखांजूर। आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने स्थानीय एम्स मेडिकल द्वारा आयोजित निशुल्क स्वास्थ्य शिविर में में कहा कि बस्तर के लोग चापड़ा चटनी(लाल चींटी) का सेवन करने से कोरोना जैसी महामारी से बच पाए है।
उन्होंने कहा कि यह किसी नेता या जनप्रतिनिधि का बयान नहीं बल्कि उड़ीसा हाई कोर्ट ने कोरोना केन महामारी से बचने के लिए चापड़ा चटनी को रामबाण बताया है और इसको लेकर शोध करने को भी कहा है । ऐसा उन्होंने अखबार में पढ़ा था और उसी आधार पर वे ऐसा कह रहे हैं। बस्तर में चापड़ा यानि लाल चींटी पेड़ों से इकट्ठा करने के बाद इसकी चटनी बनाई जाती है।
बस्तर के प्राय: सभी साप्ताहिक बाजार में हरे पत्तों के दोने में लाल चींटी , लाल चीटियों की चटनी दिख जाएगी। स्वास्थ्य के लिए यह बेहद फायदेमंद है । इसमें भारी मात्रा में प्रोटीन के साथ-साथ कैल्शियम पाया जाता है। इसके सेवन से मलेरिया और पीलिया जैसी बीमारियों से आराम मिलता है साथ ही प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है जो बीमारियों से बचाने के लिए काफी मददगार होती है।
आज भी बस्तर के ग्रामीण तेज बुखार होने पर अपने बच्चों को लाल चीटियों से कटवाते हैं और इसका फायदा भी उन्हें साफ दिखने लगता है बुखार तीन से चार घंटों में उतर जाता है।
उन्होंने कहा कि इसी माह गुरुवार को एक अंग्रेजी दैनिक अखबार की रिपोर्ट पर उड़ीसा हाई कोर्ट ने आयुष मंत्रालय और काउंसलिंग आॅफ साइंटिफिक एंड इंडूरिरयल रिसर्च के मानकों को जल्द फैसला लेने को कहा है । कोर्ट ने कोविड-19 के इलाज में लाल चीटियों की चटनी के इस्तेमाल के प्रस्ताव पर निर्णय 3 महीने में मांगा है ।
उड़ीसा हाई कोर्ट ने यह आदेश जनहित में दायर बरीपदा के इंजीनियर नयाधार पढ़ियाल की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है.इस याचिका में लाल चीटियों के चटनी के प्रभाव को लेकर कार्यवाही नहीं किए जाने पर कोर्ट से दखल देने की मांग की गई है।
पाढ़ीयाल के अनुसार चापड़ा चटनी मेंफार्मिकएसिड,प्रोटीन,कैल्शियम, विटामिन बी – 12,जिंक और आयरन होता है ये सभी ह्यूमन सिस्टम को मजबूत करते हैं ।