EXCLUSIVE : हाईकमान का डॉ. रमन पर भरोसा कमजोर! आखिर कहां हुई चूक?
स्मिता दुबे | रायपुर : छत्तीसगढ़ का राजनीतिक इतिहास कई मायनों में दिलचस्प है. चाहे वह IAS की नौकरी छोड़ मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठने वाले स्वर्गीय अजीत जोगी की बात हो, या किसान पुत्र भूपेश बघेल के कठोर परिश्रम और संघर्ष की. राजनीति के इन दो सुरमाओं के बीच 15 साल तक सत्ता में काबिज पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का भी नाम आता है.
राजनीतिक पहलुओं पर चाणक्य नीति के साथ निर्णय लेनें की क्षमता रखने वाले रमन सिंह में केंद्रीय नेतृत्व का गुण झलकता तो है, लेकिन जानें क्यों राजनीतिक जानकारों का ऐसा मानना है कि पार्टी आलाकमान के बीच उनका कद धुमिल सा हो रहा है.
आखिर कहां हो रही चूक?
बात चाहे उनके सुरक्षा मुहैया की हो या फिर बीजेपी स्टार प्रचारक की. कहीं न कहीं केंद्र से भी उनकी लोकप्रियता कम होती जा रही है. साल 2003 से 2018 तक सत्ता में काबिज रमन सिंह ने कई कहानियां गढ़ी, लेकिन इसके बाद एंटी इनकंबेंसी की ऐसी लहर चली कि उसके सामने मोदी लहर भी बौनी साबित हुई. भारतीय जनता पार्टी को 2018 के विधानसभा चुनाव में शर्मनाक हार मिली. भाजपा को इस हार पर भरोसा ही नहीं था. सवाल उठने लगे कि आखिर गलती हुई तो हुई कहां?
निकाय चुनाव में डगमगाया कद
कुल मिलाकर सीएम की गद्दी पर 15 साल से बैठे रमन पर ही हार का ठिकरा फूटने लगा. इसके कुछ समय बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जबरदस्त प्रदर्शन किया, लेकिन यहां भी रमन को नहीं प्रधानमंत्री मोदी को तवज्जो मिली. इसके बाद प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव का शतरंज खुला, जिसमें भाजपा खाता ही नहीं खोल सकी. दस के दस नगर निगम में कांग्रेस ने अपना परचम लहराया. यहीं से पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का कद थोड़ा डगमगाता नजर आया है.
सुरक्षा में कटौती, स्टार प्रचारकों में नाम गायब
कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद रमन सिंह की सुरक्षा में कटौती की गई. रमन सिंह के साथ ही उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा भी कम कर दी गई. रमन सिंह को पहले जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी, लेकिन अब उनकी सुरक्षा जेड श्रेणी कर दी गई. साल 2019 में हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव हुए थे, जिसमें चौंकाने वाली बात ये थी कि स्टार प्रचारक की सूची में रमन सिंह का नाम शामिल नहीं था. वहीं हाल ही में हुए मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार चुनाव में भी उनका नाम स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल नहीं किया गया, जिससे राजनीतिक गलियारों में भी उनके कद को लेकर चर्चाएं होने लगी.
धुमिल हुई छवि
इन सभी घटनाक्रमों को लेकर कांग्रेस ने भी रमन सिंह के पार्टी में कद को लेकर कई सवाल उठाए. कांग्रेस का कहना था कि झीरम घाटी, अंतागढ़ टेप कांड और नान घोटाले जैसे कई मामलों में उनका नाम सामने आने से पार्टी आलाकमान के बीच उनकी छवि धुमिल हुई है. यही वजह है कि उन्हें स्टार प्रचारकों में जगह नहीं मिली.
क्या हो सकता है कारण?
जिस तरह से रमन सिंह का कद घट रहा है, उसका एक कारण अभिषेक सिंह का अगस्ता वेस्टलैंड में नाम आने से हो सकता है. हालांकि अभिषेक सिंह को सुप्रीम कोर्ट से क्लीनचीट मिल गई थी. रमन सिंह कई बार परिवारवाद से घिरे भी हैं, जैसे दमाद पुनित गुप्ता डीके अस्पताल की मशीन खरीदी घोटाले में नाम उछला था. प्रदेश की राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों के बीच तो यही चर्चा रही है कि कहीं न कहीं रमन सिंह के प्रति पार्टी हाईकमान की रूचि कम हुई है, हालांकि छत्तीसगढ़ भाजपा इस बात से इनकार करती आई है.