एमजीएम प्रकरण में हाईकोर्ट ने कहा, शासन की जांच कार्यवाही विधि सम्मत

रायपुर। एमजीएम हॉस्पिटल में जांच के लिए पहुंची टीम के बैरंग लौटने के बाद अब शासन-प्रशासन ने अस्पताल प्रबंधन पर अपना शिकंजा और कड़ा करने का मन बना लिया है। दूसरी ओर हाईकोर्ट ने भी इस मामले में शासन-प्रशासन की कार्यवाही को उचित मानते हुए अस्पताल की ओर से याचिकाकर्ताओं को कार्यवाही में अपना पूर्ण सहयोग देने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में आज न्यायाधीश पी. सैम कोशी की अदालत में याचिका क्रमांक डब्ल्यूपीसी 568-2019 मिक्की मेमोरियल ट्रस्ट विरुद्ध छत्तीसगढ़ शासन एवं अन्य पर सुनवाई हुई।

याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि उपरोक्त प्रकरण मिक्की मेमोरियल ट्रस्ट के द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष यह कहते हुए पेश किया गया था कि शासन द्वारा बार-बार एमजीएम आई इंस्टीट्यूट का निरीक्षण बिना सुनवाई का अवसर दिए बिना एवं किसी भी शिकायत की जानकारी दिए बिना परेशान किया जा रहा है। याचिका में यह भी कहा गया कि पहले की शिकायत की प्रति जिसके कारण निरीक्षण किया जा रहा है प्रदान की जाए, इसके पश्चात कार्यवाही की जाए और समस्त जांच प्रक्रिया को खारिज किया जाए।

शासन के द्वारा याचिकाकर्ता के उक्त दावों के जवाब में बताया गया कि समस्त कार्यवाही रजिस्ट्रार पब्लिक लोक न्यास अधिनियम की परिधि के अंदर किया जा रहा है। जिसमें मात्र याचिकाकर्ता से जानकारी चाही गई है। किंतु याचिकाकर्ता एवं पक्ष द्वारा कोई जानकारी प्रदान नहीं की गई। जबकि जानकारी मांगने की शक्ति अधिनियम के तहत रजिस्ट्रार के पास है एवं किसी भी प्रकार का कोई कृत्य विधिक प्रावधानों के विपरीत जाकर नहीं किया गया है। याचिका केवल शासकीय कार्य में बाध उत्पन्न करने की मंशा से प्रस्तुत किया गया है, जिससे याचिकाकर्ता अपने विधि विरुद्ध किए गए कृत्यों को छिपा सके। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह कहा कि शासन न्यास अधिनियम के प्रावधानों का पालन करते हुए कर्यवाही करने के लिए स्वतंत्र है, लिहाजा याचिकाकर्ता को शासन की जांच अथवा कार्यवाही में पूर्ण सहयोग करना चाहिए ताकि विधि अनुसार कार्यवाही की जा सके।

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